Hindi [ गध खण्ड ] Class 12th Subjective Questions chapter-12

HINDI GADDH CHAPTER 12:- तिरिछ

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘तिरिछकिसका प्रतीक है?

ANS:- तिरिछ एक विषैला और भयानक जंतु है जो कहानी में प्रतीक बन जाता है। ‘तिरिछ’ एक जादुई यथार्थ की कहानी बन जाता है। केन्द्र में लेखक के पिताजी त्रासदी के प्रतीक हैं। मानो उन्हें ही तिरिछ ने काट खाया हो।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. ‘तिरिछकहानी का सारांश लिखें।

ANS:- तिरिछ’ शीर्षक कहानी के कहानीकार उदय प्रकाश हैं। उदय प्रकाश नूतन तथ्यों और कथ्यों वाली कहानी लिखने में सिद्धहस्त हैं। ‘तिरिछ’ एक आधुनिक त्रासदी है। आज के युग में समय बहुत दूर तक वैश्विक और सार्वभौमिक हो चुका है। विकास की दृष्टि से दुनिया के देशों का चाहे अब भी विभाजन किया जा सकता हो, पर कहीं ऐसे विभाजन अप्रसांगिक भी हो चुके हैं। ऐसे में भारत जैसे देश में यथार्थ और समय के बीच चाहे अब भी विभाजन किया जा सकता हो पर कहीं ऐसे विभाजन अप्रासंगिक भी हो चुके हैं। ऐसे में भारत जैसे देश में यथार्थ और समय के बीच बहुसंख्यक समाज के लिए एक ऐसी अलंघ्य खाई उभरी है जिसके चलते जीवन में बेगानगी और अजनबियत आई है। कहानी नई पीढ़ी के प्रतिनिधि बेटे के दृष्टिकोण से लिखी हुई और बाबूजी के बारे में है, जो सुदूर गाँव में रहते हैं। वे शहर जाते हैं और फिर शहर में उनके साथ जो कुछ घटित होता है, कहानी उसी के बारे में है। जो घटित हुआ है वह अत्यंत अप्रत्याशित, दारुण और भयावह है। आमूल बदलते हुए समय का नया, भीषण यथार्थ, जिसके शिकार बाबूजी बनते हैं, बेटे के सपने में ‘तिरिछ’ बनकर प्रकट होता है। तिरिछ एक विषैला और भयानक जंतु है, जो कहानी में प्रतीक बन जाता है। ‘तिरिछ’ कहानी ‘जादुई यथार्थ’ की कहानी कहा जाता है। यह यथार्थ बाबूजी की गँवई वास्तविकता को पीछे छोड़कर और आगे बहुत आगे बढ़ चुके शहर के तथाकथित आधुनिक समय के द्वन्द्व से उपजता है। दुनिया के उन देशों में जहाँ यथार्थ और समय के बीच खाई उभरी वहाँ जादुई यथार्थ प्रकट हुआ।’ ‘तिरिछ’ कहानी में बाबूजी को ‘तिरिछ’ काट लेता है। तिरिछ का काटा आदमी बच नहीं पाता है। वही पिताजी की स्थिति हुई। वैसे यही वैज्ञानिक धारणा नहीं है। यहाँ इस कहानी में बाबूजी को नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के अन्तर का तिरिछ काटे हुए है। नई पीढ़ी की संवेदनशीलता मर गई है। शहरी लोगों से मिलकर बाबूजी परेशान और त्रस्त होते हैं। गाँव के सीधे-सरल-सहज बाबूजी के लिए शहर एक अनबूझ पहेली है। शहर का प्रत्येक व्यक्ति स्वार्थी है। नयी पीढ़ी हिंसक हो गयी है। ‘तिरिछ’ एक जादुई यथार्थ की कहानी है। यह कहानी जटिल अवश्य है पर है जादुई प्रभाव छोड़नेवाली। यह उदय प्रकाश की सफल कहानी है।

सप्रसंग व्याख्यात्मक प्रश्न

1. ‘आदमी भागता है तो जमीन पर वह सिर्फ अपने पैरों के निशान नहीं छोड़ता, बल्कि हर निशान के साथ वहाँ की धूल में अपनी गंध भी छोड़ जाता है।

ANS:- प्रस्तुत पक्तियाँ आधुनिक कहानीकार उदय प्रकाश द्वारा रचित जादुई कहानी ‘तिरिछ’ से उद्‌धृत हैं। ‘तिरिछ’ आधुनिक त्रासदी की दर्द भरी दास्तान है। जंगलों में पाये जानेवाले तिरिछ में 100 नाग का जहर होता है। गोल-मोल दौड़कर भागनेवाले को वह नहीं काट पाता। आदमी भागता है तो वह जमीन पर अपने पैरों के निशान छोड़ता है। हर निशान के साथ वहाँ की धूल में अपनी गंध भी छोड़ता है। तिरिछ उसे सूँघता हुआ मनुष्य को रगेदता है और उसे काट लेता है।

2. “मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और मेरी फँसती हुई साँसें फिर से ठीक हो जाती हैं कि उस समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा।”

ANS:-  प्रस्तुत पंक्तियाँ उदय प्रकाश द्वारा रचित जादुई कहानी ‘तिरिछ’ से उद्धृत हैं। “उपरोक्त पंक्तियों द्वारा लेखक अपने पिताजी के विषय में वर्णन करते हैं। उनके पिताजी शहर में जाकर विभिन्न स्थानों पर वहाँ के लोगों की हिंसक कार्रवाइयों के शिकार हो जाते हैं। उनको काफी चोटें आती हैं और वे मरणासन्न हो जाते हैं। उन स्थितियों में भी लेखक एक अजीब सी राहत महसूस करता है तथा उसकी फँसती हुई साँसें सामान्य हो जाती हैं। वह ऐसा अनुभव करता है कि उसके पिता जी को अब कोई दर्द महसूस करता है तथा उसकी फँसती हुई साँसें सामान्य हो जाती हैं। वह ऐसा अनुभव करता है कि उसके पिताजी को अब कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा होगा। वह ऐसा इसलिए सोचता है कि अब उनके पिताजी को कोई ऐसा विश्वास होने लगा होगा। उनके साथ जो कुछ भी हुआ वह एक सपना था। उनकी नींद खुलते ही सब ठीक हो जाएगा। पुनः वह यह भी आशा व्यक्त करता है कि उसके पिताजी फर्श पर सोते हुए उसे उसकी छोटी बहन को भी देख सकेंगे। लेखक की इस उक्ति में अजीब विरोधाभास है। लेखक के पिता बुरी तरह घायल हो गए हैं। उनकी स्थिति चिन्ताजनक हो गई है। फिर भी वह आशा करता है कि वे स्वस्थ हो जाएँगे, उन्हें कोई दर्द महसूस नहीं होगा और वे लेखक तथा उसकी छोटी बहन को फर्श पर लेटे हुए देखेंगे। यहाँ भी लेखक ने प्रतीकात्मक भाषा-शैली का प्रयोग किया है। सम्भवतः हिंसात्मक, भीड़ द्वारा उनके पिताजी बेरहमी से पिटाई तथा उनका सख्त घायल होना, उनकी विपन्नता, प्रताड़ना तथा त्रासदपूर्ण स्थिति को इंगित करता है। प्रतीकात्मक भाषा द्वारा लेखक ने अपने विचारों को प्रकट किया है ऐसा अनुभव होता है। लेखक का इस क्रम में आगे चलकर यह कहना है कि “और जैसे ही वे जागेंगे सब ठीक हो जाएगा या नीचे फर्श पर सोते हुए मैं और छोटी बहन दिख जाएँगे।” लेखक के पिताजी एवं परिवार की सोचनीय आर्थिक दशा का सजीव वर्णन मालूम पड़ता है।”

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